Friday 12 August 2011

ताकि विदेश में देश जीवित रहे

सभ्यता और संस्कृति की धमनियों में प्रवाहित रक्त को गतिशील बनाए रखने का कार्य भाषा करती है। भाषा की मृत्यु का अभिप्राय है, सभ्यता और संस्कृति की मृत्यु और किसी राष्ट्र की सभ्यता और संस्कृति की मृत्यु उस राष्ट्र की मृत्यु होती है। अतः हमें न केवल अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए अपितु उसके संरक्षण व संवर्द्धन के लिए संकल्पबद्ध भी होना चाहिए।

इसी महती उद्देश्य को पूरा करने में जुटी संस्था का नाम है हिन्दी-यूएसए। अमेरिका व कनाड़ा में बसे भारतीयों को अपने देश व संस्कृति से जोड़े रखने व उनके बच्चों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराने हेतु सतत प्रयत्नशील यह संस्था पिछले आठ वर्षों से अमेरिका में लगभग 28 हिन्दी विद्यालयों का संचालन कर रही है। जिनमें संस्था के 125 कार्यकर्त्ता लगभग 1700 विद्यार्थियों को हिन्दी पढ़ाते हैं। आरंभ में हिन्दी की कक्षायें कार्यकर्त्ताओं के घर पर या मंदिर में चलती थीं, परंतु धीरे-धीरे हिंदी पढ़ाने के कार्य का विस्तार हुआ व कक्षायें नगर के विद्यालयों में चलने लगीं। हिंदी-यूएसए की प्रथम पाठशाला ‘चेरीहिल पाठशाला’ थी जो सन् 2001 में शुरु की गई थी और सबसे बड़ी पाठशाला ‘एडिसन हिन्दी पाठशाला’ है जो वर्ष 2006 में स्थापित हुई। इस पाठशाला में विभिन्न आयु वर्ग (4-40 वर्ष) के लगभग 360 विद्यार्थी हिन्दी पढ़ रहे हैं।

संस्था की स्थापना सन् 2001 में न्यूजर्सी (अमेरिका) में हुई। संस्था के संस्थापक श्री देवेन्द्र जी व उनकी धर्मपत्नी रचिता सिंह का सपना अमेरिका में बसे भारतीयों के मध्य संवाद की भाषा के रूप में हिन्दी को प्रतिष्ठित करना है। हिन्दी-यूएसए के मुख्य उद्देश्य अमेरिका के स्कूलों में हिन्दी को एक ऐच्छिक भाषा के रूप में मान्यता दिलवाना, अमेरिका के स्कूलों में हिन्दी अध्यापन के लिए अध्यापकों का प्रशिक्षण व अमेरिका मे जन्में भारतीय मूल के बच्चों को हिन्दी का बुनियादी ज्ञान कराकर उन्हें अपने पैतृक देश व संस्कृति से जोड़े रखना आदि हैं। अमेरिका में स्थित भारतीय बाजारों में दूकानों के नामों को हिन्दी में लिखवा कर भारतीयों में अपनी भाषा के प्रति गर्व की भावना को बढ़ावा देने का कार्य भी संस्था के उद्देश्यों में है।
 
संस्था द्वारा प्रतिवर्ष हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें लगभग 5000 बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। संस्था द्वारा हिन्दी भाषा को व्यवहार में लाये जाने के लिए विभिन्न लिखित व मौखिक वर्ग की हिन्दी प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं। दीपावली समारोह व कविता पाठ प्रतियोगिताएं इन पाठशालाओं के वार्षिक कार्यक्रमों में शामिल हैं। भारतीय साहित्य के प्रोत्साहन में भी संस्था अग्रणी है। समय-समय पर हिन्दी साहित्य की श्रेष्ठ व भारतीय संस्कृति को प्रतिबिंबित करती पुस्तकों की प्रदर्शनियों का आयोजन संस्था द्वारा किया जाता है।

संस्था प्रतिवर्ष कवि सम्मेलन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाती है। यह कवि सम्मेलन भारत से राष्ट्रवादी कवियों को आमंत्रित कर आयोजित किया जाता है। अमेरिका में बसे भारतीय मूल के लोगों में यह कार्यक्रम काफी लोकप्रिय है। भारत से आमंत्रित कवियों में हास्य कवि महेन्द्र अजनबी व सुनील जोगी व ओज व वीर रस के सशक्त हस्ताक्षर श्री गजेन्द्र सोलंकी आदि मुख्य हैं।

संस्था द्वारा हिन्दी-यूएसए की पाठशालाओं में पढ़ रहे बच्चों को ‘भारत को जानांे’ नामक कार्यक्रम के अन्तर्गत भारत भ्रमण के लिए लाये जाने का कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इस यात्रा का मुख्य प्रयोजन बच्चों को भारत की सभ्यता व संस्कृति से परिचित करवाने तथा भारत के विभिन्न पहलुओं से बहुत ही गहराई व निकटता से अवगत करवाना है। वर्ष 2008 में भारत भ्रमण पर आये 12 बच्चों ने भारत-भ्रमण कार्यक्रम में न केवल खूब मनोरंजन किया अपितु सांस्कृतिक व ऐतिहासिक रूप से भारतीय तीर्थ-स्थलों व ऐतिहासिक- स्थानों के बारे में जाना, जिससे उन्हें भारत के गौरवशाली अतीत व स्वर्णिम संस्कृति की जानकारी मिली। इस कार्यक्रम में इस संस्था को भारत विकास परिषद का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ। भारत भ्रमण का यह कार्यक्रम अमेरिका में बसे भारतीय मूल के बच्चों में खासा लोकप्रिय हुआ। भारत यात्रा पर आये इन बच्चों द्वारा भोजन ग्रहण करने से पहले भोजन मंत्र का उच्चारण सबको भौचक्का कर देने वाला था और इस संस्था की सार्थकता और सफलता के प्रति आशान्वित व गौरवान्वित करने वाला भी। भारतीय संस्कारों का रोपण, भारतीयता की भावना का संचार, अपने देश व संस्कृति के प्रति जुड़ाव तथा अपनी सभ्यता के प्रति गौरव का भाव प्रवासी भारतीय बच्चों में पुष्पित-पल्लवित करने का कार्य निःसंदेह संस्था की एक बहुत बड़ी उपलब्धि कही जानी चाहिए।

संस्था आज प्रभावी कार्यों में जुटी है और अमेरिका व कनाडा के विभिन्न राज्यों में हिन्दी पाठशालाओं का संचालन कर हिन्दी के प्रचार-प्रसार का कार्य कर रही है। संस्था का सफलतापूर्वक संचालन-प्रबन्धन करने का दायित्व निभाया जाता है कुछ निष्काम, निस्वार्थ भाव से कार्य करने वाले कार्यकर्त्ताओं द्वारा। भारत के भी अनेक गणमान्य व्यक्तियों का सहयोग व मार्गदर्शन संस्था को नियमित रूप से मिलता है। जिनमें महाराजा अग्रसेन मेडिकल कालेज, अग्रोहा (हरियाणा) के वाइस चेयरमेन श्री जगदीश मित्तल, प्रख्यात चित्रकार बाबा सत्यनारायण मौर्य, ओजस्वी कवि राजेश चेतन व राजेश जैन पथिक जैसे अनेक निष्ठावान व भाषाप्रेमी भारतीय प्रमुख हैं।

संस्था ने अमेरिका में चल रही हिन्दी प्रचार-प्रसार की गतिविधियों व अमेरिका में हिन्दी साहित्य लेखन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मार्च 2008 में ‘कर्मभूमि’ नामक ई-पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया है। इस पत्रिका को न केवल अमेरिकी हिन्दी पाठकों ने सराहा बल्कि भारत में भी यह पत्रिका खासी लोकप्रिय है।

इस प्रकार संस्था प्रवासी भारतीयों में अपनी भाषा व संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने व उन्हें अपनी माटी की महक से जोड़े रखने का महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। संस्था भविष्य में हिन्दी के विकास संबंधी कुछ और नई योजनाओं को कार्यान्वित करेगी, ऐसी आशा है। निःसंदेह संस्था राष्ट्रवादी कवि गजेन्द्र सोलंकी की निम्न पंक्तियों को चरितार्थ करती है-

‘‘हिन्दी मन की भाषा, हिन्दी जन-जन की अभिलाषा हो।
 नयी सदी, नवयुग में हिन्दी नवचेतन की आशा हो।’’

कृष्ण कुमार अग्रवाल
शोधार्थी, हिन्दी विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
मो. 09802525111

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